Sugarcane Farming 2024 :बरसात के सीजन में गन्ना किसान अपनाएं ये खास कृषि वैज्ञानिक उपाय, होगी बेहतर पैदावार

Sugarcane Farming 2024 : गन्ना देश की वाणिज्यिक फसलों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इसलिए देश के गन्ना उत्पाद राज्य इसकी पैदावार को बढ़ावा देने एवं इसकी खेती का क्षेत्र विस्तार करने के लिए नई-नई योजनाओं पर काम कर रहे हैं और किसानों को गन्ने की खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं। साथ ही वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को आए दिन तकनीकी सुझाव भी दिए जाते हैं, ताकि गन्ना उत्पादन बढ़ाया जा सकें। अभी देश में मानसून का दौर चल रहा है, जिसके चलते देश के अलग-अलग क्षेत्र में अच्छी बारिश हो रही है। एक ओर जहां मानसून की बारिश किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, तो वहीं, गन्ना उत्पादक राज्यों में इस मौसम ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि किसानों के सामने सबसे बड़ी परेशानी गन्ने की फसल गिरने, गन्ना का पीला पड़ने और फसल पर कीट-रोगों का आक्रमण होने का है। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज, पश्चिम चंपारण बिहार के प्रमुख डॉ. आर.पी. सिंह ने गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए कुछ खास तकनीकी सलाह जारी की है। किसान खेती में इन उपाय को अपनाकर बरसात के मौसम में गन्ने में लगने वाले रोग और कीटों से फसल का बचाव कर सकते हैं और गन्ने की बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में किसान गन्ने की खेती में जरूरी काम और कीट-रोगों से बचाव के लिए ये बेहद खास टिप्स अपनाएं तो मानसून की बारिश उनके लिए वरदान साबित हो सकती है।

Sugarcane Farming 2024
Sugarcane Farming 2024

बरसात में गन्ना किसानों को सजग रहने की आवश्यकता (Sugarcane Farming 2024 need to be alert during rains)

कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर.पी. सिंह ने बताया कि मानसून की दस्तक के साथ जहां लोगों को गर्मी से राहत मिलती है, वहीं गन्ना किसानों के लिए यह मौसम चिंता बढ़ा देता है। उन्होंने बताया कि देश में गन्ने की खेती बसंत सीजन और सर्दी के मौसम में की जाती है। मध्य, पश्चिम और उत्तर भारत में किसानों द्वारा बसंत कालीन गन्ने की बुवाई की गई है। ऐसे में बरसात के मौसम में गन्ने का गिरना, गन्ने का पीला पड़ना और पोक्कहा बोईंग रोग तेजी से फैलता है। इन सबसे बचाव के लिए किसानों को बरसात के शुरूआती दौर से ही सजग रहने की आवश्यकता होती है। गन्ने में पोक्कहा बोईंग रोग का प्रकोप होने पर छोटी कोमल पत्तियां काली होकर मुरझा जाती हैं और पत्ती का ऊपरी भाग गिर जाता है। पत्तियों के ऊपरी और निचले भाग पत्ती फलक के पास सिकुड़न के साथ सफेद रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। फसल में इस रोग के स्पष्ट लक्षण बरसात के मौसम (जुलाई से सितंबर माह) दौरान दिखई देते हैं। उन्होंने बताया अगर समय रहते इन लक्षणों पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो प्रकोप बढ़ने से पूरी फसल चौपट भी हो सकती है।

रोग नियंत्रण के लिए किसान करें ये जरूरी उपाय (Farmers should take these necessary measures to control the disease)

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि किसान बरसात के सीजन में गन्ने की फसल में इस रोग के नियंत्रण के आवश्यक उपाय और जरूरी प्रबंधन काम करें। फसल पर पोक्कहा बोईंग रोग के लक्षण दिखाई देने पर किसान कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 15 दिनों के अंतराल पर 2 से लेकर 3 बार छिड़काव करें। इससे रोग का फलावा रोका जा सकता है। डॉ. आर.पी. सिंह ने बताया अगर गन्ने की फसल में अमरबेल खरपतवार दिखाई दे तो उसे तुरंत जड़ से उखाड़कर मिट्टी में दबाकर इसको नष्ट दें, क्योंकि यह गन्ने की फसल की बढ़वार को प्रभावित करती है।

Also Read.. Manure-Fertilizer Subsidy : सरकार ने चार महीने में खाद- उर्वरक पर घोषित की 36,993 करोड़ रुपये की सब्सिडी

जलभराव हानि से बचने के लिए करें ये आबश्यक कामकृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख डॉ आर,पी. सिंह ने कहा कि गन्ने की खेत में जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए है। जहां गन्ने में जलभराव हो, खेत से जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए। खेत में जल निकासी के लिए नालियां बनाएं। बरसात के सीजन में गन्ने के थानों की जड़ पर मिट्‌टी चढ़ानी चाहिए। मिट्‌टी चढ़ने से जड़ों का सघन विकास होता है और वर्षा में फसल गिरने का खतरा भी कम हो जाता है। साथ मिट्‌टी चढ़ने से स्वतः निर्मित नालियां खेत से बारिश का जल निकास का कार्य करती है। इससे खेत में जलभराव की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है और पौधे गलने एवं सड़न रोग होने की समस्या भी उत्पन्न नहीं होती है।

खतरनाक कीटों के नियंत्रण के लिए ये काम अबश्य करें (Do these things to control dangerous insects)

डॉ. आर. पी. सिंह ने बताया, गन्ने में तना बेधक कीट का प्रकोप ज्यादा पाया जाता है। ऐसे में पौधों पर इस कीट का प्रकोप नहीं हो, इसके लिए फसल पर ट्राईकोग्रामा किलोनिस प्रति एकड़ की दर से 4 से 6 बार 10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए। किसान को जुलाई से अक्टूबर महीने में इसका प्रयोग करना चाहिए। सूंडी परजीवी कार्ड के लिए कोटेप्सिया प्लेविपस 200 प्रति एकड़ की दर से 7 दिनों के अंतराल पर जुलाई से अक्टूबर तक छिड़काव करना चाहिए। तना बेधक कीट का अधिक प्रकोप दिखाई देने पर फसल में प्रोफेनोफास 40 प्रतिशत और सायपरमेथ्रिन 4 प्रतिशत ई.सी. अथवा ट्राईजोफास 35 प्रतिशत डेल्टामेशिन 1 प्रतिशत की मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

गन्ने के खेत के पास प्रकाश प्रपंच लगाएं (Install lighting near sugarcane field)

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, गन्ने में प्लासी बोरर कीट का प्रकोप होता है, तो इसके नियंत्रण हेतु गन्ने के खेत के आस-पास प्रकाश प्रपंच लगाएं।  इसके नीचे पॉलिथीन शीट बिछाकर 1से 2 इंच पानी भरकर उसमें मिट्टी का तेल आधा लीटर या 10 से 15 मिलीलीटर मैलाथियान डालें। गड्ढे में व्यवस्थानुसार 200 वाट बल्व वाला लाईट ट्रैप लगाएं। लाईट ट्रैप के प्रपंच में आकर कीट गड्ढे में गिरकर नष्ट हो जाएंगे। यदि अगर खेत में प्लासी कीट का प्रकोप अधिक है, तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. की 1 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी के हिसाब से मिलाकर फसल पर छिड़काव करें।

important Links Sugarcane Farming 2024

Home PageClick Here
Manure-Fertilizer SubsidyClick Here

Leave a Comment