Wheat new variety 2024 : वैज्ञानिकों ने विकसित की गेहूँ की नई वैरायटी , अब नहीं लगेंगी बीमारियाँ और मिलेगा अधिक उत्पादन!

Wheat new variety 2024 आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर के द्वारा गेहूँ की तीन नई किस्में विकसित की गई हैं जो न केवल बढ़िया उत्पादन देंगी, बल्कि रतुआ जैसी बिभिंन बीमारियों के प्रतिरोधी भी हैं।

जिस प्रकार से वर्ष दर वर्ष तापमान अधिक बढ़ रहा है, इससे गेहूँ के उत्पादन पर भी असर पड़ता जा रहा है। ऐसे में वैज्ञानिक कुछ किस्मों को विकसित करने में लगे हैं, जिनसे अधिक उत्पादन भी मिल जाए और बढ़ते तापमान का भी असर न हो। आईसीएआर-भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा ने ऐसी ही तीन नई बायो

Wheat new variety
Wheat new variety 2024

फोर्टिफाइड किस्में- डीबीडब्ल्यू 370 (करण वैदेही), डीबीडब्ल्यू 371 (करण वृंदा), डीबीडब्ल्यू 372 (करण वरुणा) विकसित की हैं। जिनका उत्पादन पहले की किस्मों से कहीं ज्यादा है। आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार शर्मा गेहूँ की इन किस्मों की खासियतों के बारे में गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “जिस तरह तापमान बढ़ रहा है, हम लोग हीट प्रतिरोधी किस्में विकसित कर रहे हैं, जिससे गेहूँ उत्पादन पर असर न पड़े। ये तीन किस्में ऐसी ही किस्में हैं, ये सभी बायो फोर्टिफाइड किस्में हैं, जिनमें और भी कई खूबियाँ हैं।”

Wheat new variety 2024 क्या हैं इन तीनों किस्मों की ख़ासियतें

Wheat new variety 2024: DBW 370 (करण वैदेही), DBW 371 (करण वृंदा), DBW 372 (करण वरुणा) इन तीनों वैरायटी को भारत के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के सिंचित दशा में अगेती बुआई के लिए विकसित किया गया है। DBW 371 (करण वृंदा) सिंचित क्षेत्रों में अगेती बुवाई के लिए विकसित की गई है। इस किस्म की खेती पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा व उदयपुर सम्भाग को छोड़कर) पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झाँसी मंडल को छोड़कर), जम्मू कश्मीर के जम्मू एवं कठुआ जिले , हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला, पोंटा घाटी अथवा उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में की जा सकती है।

DBW 370 (करण वैदेही)

इसकी उत्पादन क्षमता 86.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं औसत पैदावार 74.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। पौधों की ऊँचाई 99 सेमी एवं पकने की अवधि 151 दिन अथवा 1000 दानों का भार 41 ग्राम होता है। इस किस्म में प्रोटीन कंटेंट 12 प्रतिशत, जिंक 37.8 पीपीएम और लौह तत्व 37.9 पीपीएम होता है।

कई रोगों की प्रतिरोधी हैं

ये तीनों किस्मों ये किस्में पीला और भूरा रतुआ की सभी रोगजनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधक पायी गई हैं। जबकि डीबीडब्ल्यू 370 और डीबीडब्ल्यू 372 करनाल बंट रोग प्रति अधिक प्रतिरोधक पायी गई है।

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