गन्ने की फसल से अधिक फायदा लेने के लिए किसान करें ये जरूरी काम

गन्ना एक नकदी फसल है, इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। गन्ने से चीनी व गुड़ बनाया जाता है। चीनी मिलों के लिए गन्ना एक कच्चा माल होता है जिसका प्रयोग करके चीनी का उत्पादन किया जाता है। भारत का दुनिया में चीनी उत्पादन में दूसरा स्थान है। गन्ने के क्षेत्रफल में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। गन्ना भारत में लाखों लोगों की आजीविका का साधन है। इससे बनाई गई चीनी का विदेशों में निर्यात किया जाता है जिससे देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। गन्ना के लिए अलग से गन्ना मूल्य नीति तैयार की गई है जिसके तहत गन्ने का मूल्य निर्धारित किया जाता है। केंद्र सरकार द्वारा जो गन्ने का मूल्य निर्धारित किया जाता है उसे एफआरपी कहते हैं। देश में सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन उत्तरप्रदेश में होता है। यहां लाखों की संख्या में किसान और मजदूर गन्ना और चीनी मिलों में लगे हुए हैं। देश में करीब 30 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती की जाती है जिसमें अकेले उत्तर प्रदेश में गन्ने की औसत उपज 81 टन प्रति हैक्टेयर है। इसके अलावा महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड में भी गन्ने की खेती की जाती है। सरकार की ओर भी गन्ने और चीनी के उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा गन्ने की नई-नई किस्में भी इसका उत्पादन बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा रही हैं। गन्ने की खेती से अधिक उत्पादन कैसे लिया जाए?

गन्ने की फसल से अधिक फायदा लेने के लिए किसान करें ये जरूरी काम
गन्ने की फसल से अधिक फायदा लेने के लिए किसान करें ये जरूरी काम

गन्ने की खेती में किसान इस महीने में करें ये काम, होगा लाभ


अगस्त का महीना चल रहा है किसान इस महीने गन्ने की फसल में कुछ आवश्यक कार्य करें तो उन्हें लाभ होगा, ये कार्य इस प्रकार से हैं
गन्ने की फसल में आवश्यतानुसार सिंचाई करें एवं ज्यादा पानी देने से बचें।
गन्ने की हर सिंचाई के बाद गुड़ाई जरूर करें।
गन्ने में लगने वाले अनेक बेधक कीटों की निगरानी के लिए लाइट-फेरोमोन (4 ट्रैप्स/हैक्टेयर) लगाएं।
पायरिला रोग के नियंत्रण के लिए निचली पत्तियों के सामने वाले अंग में यदि सफेद रंग का अंड समूह दिखाई देता है तो ग्रसित पत्तियों केा काटकर नष्ट कर दें।
यदि फसल में काला चिकटा का प्रकोप देख रहा है, फसल की पत्तियां हल्की पीली पड़ने लग जाती है तो ऐसी अवस्था में 3% यूरिया एवं क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी (6.25 लीटर प्रति हैक्टेयर) दवा का 1500 से 1600 लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों की गोफ में डालें।
रोग ग्रसित पौधों को खेत से बाहर निकाल कर कहीं दूर ले जाकर नष्ट कर दें।
पेडी गन्ने में बहुत ज्यादा किल्ले निकलने की दशा में गन्ने की पंक्तियों में मिट्‌टी पर मिटटी चढ़ा दे।
कई जगह किसान धान की कटाई के बाद शरदकालीन गन्ने की बुवाई करते हैं, आमतौर पर शरदकालीन गन्ने की बुवाई पूर्वी क्षेत्र में मध्य अक्टूवर से मार्च , मध्य क्षेत्र में अक्टूवर से मार्च और पश्चिमी क्षेत्र में मध्य अक्टूवर से मार्च तक की जाती है। ऐसे में इस बार बहुत से किसानों ने शरदकालीन गन्नें की बुवाई की है। यदि किसान शरदकालीन गन्ने से अधिक आदमनी प्राप्त करना चाहते हैं तो गन्ने की फसल के बीच खाली जगह पर अन्य फसलें उगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।

गन्ने की अधिक पैदावार के लिए किसान किन बातों का रखें ध्यान

गन्ने की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये बातें इस तरह से हैं

यदि आपने गन्ने के साथ अंत: फसल लगाई हुई है तो इसके लिए अलग से संस्तुति के अनुसार उर्वरकों की समय से पूर्ति करते रहे।
अंत: फसलें काटने के बाद शीघ्र ही गन्ने में सिंचाई व नत्रजन की टापड्रेसिंग करके गुड़ाई करें।
खाली स्थानों में पहले से अंकुरित गन्ने के पैडों से गैप फिलिंग करें।
यदि खेत में जल ठहराव हो रहा हो तो बिना देरी किए इसके जल निकास की उचित व्यवस्था करदे।
नमी को सरंक्षित रखने एवं खरपतवार नियंत्रण के लिए जमाव पूरा होने के बाद रोग एवं कीटमुक्त गन्ने की पताई की 10 सेंटीमीटर मोटी परत पंक्तियों के बीच बिछा दें।
सीमित सिंचाई साधन की स्थिति में एकान्तर नालियों में सिंचाई करना अत्यंत लाभकारी रहता है।
गामा बी.एच.सी का उपयोग क्षारीय भूमि में नहीं करें।
चोटीबेधक कीट के नियंत्रण के लिए अक्टूबर या मार्च माह में कीट ग्रसित पौधों को खेत से निकालते रहे।
वहीं नबम्बर के अंतिम सप्ताह में दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक खेत में पर्याप्त नमी होने की दशा में 30 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से कार्बोफ्यूरान 3G गन्ने की लाइनों में डालें।
जलप्लावित क्षेत्रों में यूरिया का 5 से 10% पर्णीय स्प्रै करना अच्छा रहता है।
बारिश के मौसम में 20 दिन तक बारिश नहीं होने पर सिंचाई जरूर करें।

गन्ने की अत्यंत उपज पाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके

गन्ने की ज्यादा उपज पाने के लिए किसानों कुछ उपाय कर सकते हैं, जो इस तरह से हैं

  • गन्ने की बुवाई के लिए रोगरहित किस्मों और जल्दी पकने वाली गन्ने की किस्मों का प्रयोग करें।
  • गन्ने के बेहतर उत्पादन के लिए किसान 8 महीने की आयु के ही गन्ने के बीज का प्रयोग करें।
  • गन्ने की बुवाई में लाइन से लाइन की दूरी 120 से 150 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
  • गन्ने की फसल पर कीट-रोग प्रकोप ज्यादा न हो इसके लिए बीज को उपचारित करके ही बुवाई करनी चाहिए।
  • पेडी प्रबंधन के लिए गन्ने की कटाई भूमि की सतह से करें।
  • गन्ने की फसल को फफूंदनाशक एवं कीटनाशक से उपचारित करें अथवा गेप फिलिंग संतुलित उर्वरक का उपयोग करें।
  • सहफसली विधि अपनाएं एवं खरपतवार, कीट व रोग का प्रयोग करें।

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